Highlight of 12 January Histroy in hindi
विश्वपटल पर भारत के सनातन की पताका फहराने वाले स्वामी विवेकानंद की आज है जयंती।
अंग्रेज होते हुए भी नेली लड़ी भारत की आजादी की लड़ाई।
7.0 की तीव्रता के भूकंप ने हैती में ली दो लाख जान।
मानव क्लोनिंग के प्रतिबन्ध समझौते पर हुए हस्ताक्षर।
01. स्वामी विवेकानंद सनातन के ध्वजवाहक
यदि कोई यह पूछे की वो कौनसे युवा सन्यासी है, जिन्होंने विश्वपटल पर भारत और सनातन धर्मं का ध्वज पूरे संसार में लहराया, तो निसंदेह स्वामी विवेकानंद का नाम ही आएगा।
स्वामी विवेकानंद जी का जन्म 12 जनवरी सन 1863 को कोलकाता में हुआ था।
स्वामी विवेकानंद के बचपन का नाम नरेंद्र था। बचपन से ही नरेंद्र बहुत शरारती, सहासी और प्रतिभावान थे।
नरेंद्र के पिता उनको अपनी तरह प्रसिद्ध वकील बनाना चाहते थे, पर नरेंद्र धर्म सम्बन्धी अपनी जिज्ञासाओं को लेकर इधर-उधर भटकते रहते थे। नरेंद्र जिस भी साधू-सन्यासी से मिलते तो एक ही प्रश्न करते कि ‘क्या आपने भगवान को देखा है!’
किसी ने नरेंद्र को दक्षिणेश्वर के पुजारी राम कृष्ण परम हंस के बारे में बताया। उनके पास पहुँचते ही नरेंद्र को ऐसा लगा जैसे उनके मन-मस्तिष्क में विद्युत का संचार हो गया है। यही स्थिति रामकृष्ण जी की भी थी। रामकृष्ण के आग्रह पर नरेंद्र ने उन्हें कुछ भजन सुनाए। भजन सुनते ही परमहंस जी को समाधि लग गई। परम हंस बोले ‘नरेंद्र मैं कितने दिनों से तुम्हारी प्रतीक्षा में था’। धीरे धीरे दोनों में स्नेह बढ़ता गया। अब अधिकांश समय नरेंद्र दक्षिणेश्वर में बिताने लगे।
आगे चलकर नरेंद्र ने संन्यास ले लिया और उनका नाम विवेकानंद हो गया। जब रामकृष्ण परमहंस जी को लगा कि उनका अंत समय निकट है, तो उन्होंने विवेकानंद को स्पर्श कर अपनी सारी आध्यात्मिक शक्तियां उन्हें दे दी। इसके बाद विवेकानंद जी ने देश भर का भ्रमण किया और वेदांत के बारे में लोगों को जाग्रत करने लगे।
देश भ्रमण करते हुए विवेकानंद जी को शिकागो में होने जा रहे विश्व धर्म सम्मेलन के बारे में पता लगा। उनके कुछ शुभचिंतको ने धन का प्रबंध कर दिया और वे शिकागो पहुँच गए।
शिकागो का धर्म सम्मेलन वस्तुतः दुनिया में ईसाइयत की जयकार गुंजाने का षड्यंत्र मात्र था। इसीलिए विवेकानंद को बोलने के लिए सबसे अंत में केवल कुछ मिनटों का ही समय दिया गया।
विवेकानंद ने अपने पहले ही वाक्य ‘मेरे अमेरिकावासी भाइयो और बहनों..’ कह कर सबका दिल जीत लिया। तालियों की गाड़गड़ाहट से सभागार गूँज उठा।
यह 11 सितम्बर 1893 का दिन था जब विवेकानंद जी ने धर्म सम्मलेन को संबोधित किया था।
विवेकानंद का भाषण सुनकर भारत और सनातन धर्म के प्रति लोगों के भ्रम दूर हुए। इसके बाद विवेकानंद अनेक देशो के प्रवास पर गए।
इस प्रकार विवेकानंद ने सर्वत्र हिन्दू धर्म की विजय पताका फहरा दी। भारत लौट कर विवेकानंद ने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की, जो आज भी विश्वभर में वेदांत के प्रचार में लगा है।
युवाओं को कर्मयोग की शिक्षा देने वाले स्वामी विवेकानंद जी की जन्म जयंती भारत में राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाई जाती है।
(लोकहित प्रकाशन की ‘हर दिन पावन’ से साभार)
भारत की आजदी के लिए योगदान देने वाली कौन है विदेशी महिला ‘नेली’!
नेली सेनगुप्ता जो पहले एडिथ एलेन ग्रे थी, का जन्म 12 जनवरी सन 1886 को इंग्लैण्ड में हुआ था।
एडिथ एलेन ग्रे सन 1909 में भारतीय स्वतंत्रता सेनानी जतिंद्र मोहन सेनगुप्ता से विवाह के बाद भारत आ गई और नेली सेनगुप्ता बन गई।
नेली ने साल 1921 में पति के साथ असहयोग आन्दोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया।
साल 1933 में कोलकाता में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 48वें वार्षिक अधिवेशन में नेली अध्यक्ष चुनी गई।
नेली ने खादी को बढ़ावा देने के लिए घर-घर जाकर खादी बेचीं।
ब्रिटिश विरोधी जनसभा को संबोधित करने के आरोप में नेली को जेल भी जाना पड़ा।
साल 1973 में नेली सेनगुप्ता को पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
हैती में आया 7.0 तीव्रता का भूकंप!
12 जनवरी सन 2010 को हैती में 7.0 की तीव्रता का भूकंप आय था, जिसने हैती को तबाह कर दिया था।
35 सेकेण्ड के इस भूकंप में 2 लाख से अधिक लोगों की जाने चली गई थी।
और इस भूकंप से हैती के 10 लाख लोग बेघर हो गए थे।
हैती में आये इस भूकंप को इतिहास में दर्ज सबसे विनाशकारी प्रकृति आपदाओं में से एक माना जाता है।
19 यूरोपीय देशो ने मानव क्लोनिंग प्रतिबन्ध समझौते पर किये हस्ताक्षर।
12 जनवरी सन 1998 को पेरिस में 19 यूरोपीय देशो ने मानव क्लोनिंग पर प्रतिबन्ध लगाने के लिए मानव क्लोनिंग निषेध समझौते पर हस्ताक्षर किये।
ब्रिटेन और जर्मनी इस समझौते से अलग रहे।
स्कॉटलैंड में डॉली नमक भेड़ की क्लोनिंग के बाद मानव क्लोनिंग की आशंकाओं के मद्देनजर ये समझौता हुआ था।
